- सिद्धांत !
- नामांकित रेखाचित्र !
- ट्रांसफार्मर मे ऊर्जा क्षयं !
उत्तर (Transformer) : ट्रांसफार्मर के मुख्य तीन भाग होते है। पट्टलित क्रोड, प्राथमिक कुण्डली, द्वितीयक कुण्डली !
नर्म लोहे की आयताकार पटिटयाँ लेते है। इन पटटियो को विद्युत रोधी पदार्थ की तय देकर और आवश्यक मोटाई बना लेते हैं। यह पटटलित क्रोड़ कहलाता है। पट्टलित क्रोड हो जाने से भवर धाराओ का मान कम हो जाता हैं। क्रोड की दो – दो भुजाओं पर ताँबे के विद्युत रोधी तार की एक -एक कुण्डली लिपटी होती हैं। कुण्डली के सिरो पर प्रत्यावर्ती वोल्टेज लगाया जाता हैं। उसे प्राथमिक कुण्डली तथा दूसरी कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते है।

कार्यविधि एवं सिद्धांत : जब प्राथमिक कुण्डली के सिरों के मध्य प्रत्यावर्ती वोल्टेज लगाया जाता है तो उसमे प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होने लगती है। जिससे धारा प्रत्येक चक्र में एक दिशा में और फिर दूसरी दिशा चुम्बकित होता ही द्वितीयक कुण्डली उसी क्रोड पर लिपटी रहती है और उससे वृद्ध चुम्बकीय फलक्स बार-बार परिवर्तन होता रहता है।
माना प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डली मे फेरों की संख्या क्रमश: NP व Ns हैं। यदि किसी क्षण प्राथमिक कुण्डली से वद्ध चुम्बकीय फलक्स 1 है तो उसमे उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल
Ep = Np. do/dt -1
यदि चुम्बकीय फलक्स का रक्षण न हो तो द्वितीयक कुण्डली में चुम्बकीय फलक्स का मान (।) होगा।
अतः द्वितीयक कुण्डली मे वि. वा. बल
Es= Ns. d(।)/dt —— (2)
समीकरण (2) मे समीकरण (1) का मान देने पर
Es/Ep = NS/NP ———- (3)
यदि प्राथमिक व द्वितीयक कुण्डली में बहने वाली धारा कमश: If व Is है। तो संतुलन की स्थिति में प्राथमिक कुण्डली में शक्ति = द्वितीयक कुण्डली में शक्ति।
Ip. Ep = Is . Es
Es/Ep = Ip/Is —— (iV)
समी (iii) व (IV) से
Ns/Np = lp/Is = Es/Ep = K (माना)
जहाँ K एक नियतांक है। जिसे ट्रांसफार्मर का परिणमन अनुणत कहते है। इसका मान अपचायी ट्रांसफार्मर के लिए 1 से कम तथा उच्चायी ट्रांसफार्मर के लिए 1 से अधिक होता है।
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