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Bhagat Singh Biography in Hindi भगत सिंह जीवन परिचय शहिद दिवस

Bhagat Singh Biography In Hindi, Shahid Diwas, Birth, Death, Shayari, Father Name, Mother Name) भगत सिंह जीवन परिचय, पुण्यतिथि, शहिद दिवस, अनमोल वचन ।

जानें इस पोस्ट में क्या-क्या है?

भगत सिंह की पूरी कहानी क्या है? (Biography of Shaheed Bhagat Singh in Hindi)

Bhagat Singh भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी हैं। शहिद भगत सिंह भारत की शान है। भगत सिंह भारत के लिए मात्र 23 साल की उम्र में भारत देश के लिए शहिद हो गये भगत सिंह जी ने बचपन से ही अंग्रेजों को भारतीयों पर अत्याचार करते हुए देखा था। भगत सिंह के मन में ही भारत के लिए कुछ कर गुजरनेें के लिए उनके मन में ख्याल आया और उनका सोचना था कि में भारत देश को अंग्रेजों से आजाद करके ही रहूँगा। भगत सिंह का सिख परिवार में जन्म हुआ था। भगत सिंह का पूरा जीवन संघर्ष से भरा हुआ गुजरा था। तो आइए जानते हैं। Bhagat Singh History in Hindi में जानेंगे।

Bhagat Singh Biography in Hindi
Bhagat Singh Biography in Hindi

भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को जरंवाला तहसील, पंजाब लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। आज वह पाकिस्तान में हैं। उनका पैतृक गाँव खट्कड़ कलां जो पंजाब भारत में हैं। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह सिन्धु और उनकी माता का नाम विद्यावती। Bhagat Singh जी ने बचपन से ही आत्याचार देखा था उनका सपना था। कि में भारत देश को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए अपनी प्राण का बलिदान क्यों न करना पढ़े। भगत सिंह जी ने 23 साल की उम्र में ही अपनें प्राण को न्यौछावर कर दिये आज भी उनके जीवन से सभी नौजवान प्रेरणा ग्रहण करते हैं।

bhagat singh information – एक नज़र

bhagat singh full nameBhagat Singh Sandhu
bhagat singh father nameसरदार किशन सिंह सिन्धु
bhagat singh birthday date27 सितम्बर 1907
bhagat singh dialogue in hindiमेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।।
Bhagat Singh Fashi date23 मार्च 1931 
bhagat singh booksWhy I Am an Atheist

Bhagat Singh Birth & Childhood भगत सिंह का आरंभिक जीवन-

Bhagat Singh जी का जन्म 27 सितम्बर 1907 को जरंवाला तहसील, पंजाब में हुआ था। भगत सिंह का जन्म सिख परिवार में हुआ था उनके जन्म के समय उनके पिता किशन सिंह जेल में थे। भगत सिंह जी ने बचपन से ही अपनें परिवार वालों में देश भक्ति देखी थी। भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह बहुत बड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जिन्होंने भारतीय देशभक्ति ऐसोसिएशन भी बनाई थी. जिसमे उनके साथ सैयद हैदर रज़ा थे। भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह के खिलाफ 22 केस दर्ज थे।उसकी बजह से ईरान जाना पड़ा था।

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Bhagat Singh Biography in Hindi

उनके किशोर दिनों के दौरान दो घटनाओं ने उनके मजबूत देशभक्ति के दृष्टिकोण को आकार दिया – 1919 में जलियांवाला बाग मसकरे और 1921 में ननकाना साहिब में निहत्थे अकाली प्रदर्शनकारियों की हत्या. उनका परिवार स्वराज प्राप्त करने के लिए अहिंसक दृष्टिकोण की गांधीवादी विचारधारा में विश्वास करता था. Bhagat Singh ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और असहयोग आंदोलन के पीछे के कारणों का भी समर्थन किया. चौरी चौरा घटना के बाद, गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का आह्वान किया।

फैसले से नाखुश भगत सिंह ने गांधी की अहिंसक कार्रवाई से खुद को अलग कर लिया और युवा क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हो गए. इस प्रकार ब्रिटिश राज के खिलाफ हिंसक विद्रोह के सबसे प्रमुख वकील के रूप में उनकी यात्रा शुरू हुई।

Bhagat Singh Education Qualification (भगत सिंह की शिक्षा)

भगत सिंह ने अपनी पढ़ाई गाँव के स्कूल में कक्षा पांचवीं तक की उसके बाद भगत के पिता ने उनका दाखिला दयानंद एंग्लो वैदिक हाईस्कूल में कराया था। बहुत कम उम्र में ही भगत सिंह ने महात्मा गॉंधी द्वारा चलाया गया असहयोग आन्दोलन का अनुसरण किया। भगत सिंह ने खुलें तौर पर अंग्रेजों को ललकारा था। Bhagat Singh के चाचा अजीत सिंह के खिलाफ 22 केस दर्ज थे। उसकी बजह से उन्हें ईरान में जाने पर मजबूर किया गया था। इसके अलावा उनका परिवार ग़दर पार्टी का समर्थक था ।

Bhagat singh 1 min
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Bhagat Singh लाहौर के नेशनल कॉलेज में BA कर रहें थे। उसी समय भगत सिंह की मुलाकात सुखदेव थापर, भगवती चरण और उनके कुछ दोस्तों के हुई थी। उस समय पर आजादी की लड़ाई जोरों चल रही थी। उसी समय भगत सिंह देश प्रेम के लिए अपनी पड़ाई छोड़ दी और देश की आजादी के लिए लड़ाई में कूद पड़े। उसी दौरान भगत सिंह के घर वाले उनकी शादी का विचार कर रहे थे। भगत सिंह ने शादी से इंकार कर दिया और कहा “अगर आजादी के पहले मैं शादी करूँगा, तो मेरी दुल्हन मेरी मौत होगी.”

भगत सिंह क्रांतिकारी (Bhagat Singh Freedom Fighter)

1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड से भगत सिंह बहुत दुखी हुए थे और महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन का उन्होंने खुलकर समर्थन किया था. भगत सिंह खुले आम अंग्रेजों को ललकारा करते थे, और गाँधी जी के कहे अनुसार ब्रिटिश बुक्स को जला दिया करते थे. चौरी चौरा में हुई हिंसात्मक गतिविधि के चलते गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन बंद कर दिया था, जिसके बाद Bhagat Singh उनके फैसले से खुश नहीं थे और उन्होंने गाँधी जी की अहिंसावादी बातों को छोड़ दूसरी पार्टी ज्वाइन करने की सोची थी।

भगत सिंह स्वतंत्रता की लड़ाई (Bhagat Singh War of Independence)

भगत सिंह ने सबसे पहले नौजवान भारत सभा ज्वाइन की. जब उनके घर वालों ने उन्हें विश्वास दिला दिया, कि वे अब उनकी शादी का नहीं सोचेंगे, तब भगत सिंह अपने घर लाहौर लौट गए. वहां उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी के लोगों से मेल जोल बढ़ाया, और उनकी मैगजीन “कीर्ति” के लिए कार्य करने लगे. वे इसके द्वारा देश के नौजवानों को अपने सन्देश पहुंचाते थे, भगत जी बहुत अच्छे लेखक थे, जो पंजाबी उर्दू पेपर के लिए भी लिखा करते थे।

1926 में नौजवान भारत सभा में भगत सिंह को सेक्रेटरी बना दिया गया. इसके बाद 1928 में उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) ज्वाइन कर ली, जो एक मौलिक पार्टी थी, 30 अक्टूबर 1928 को भारत में आये, सइमन कमीशन का विरोध किया

शहीद भगत सिंह की फांसी (Bhagat Singh Death Reason) 

भगत सिंह खुद अपने आप को शहीद कहा करते थे, जिसके बाद उनके नाम के आगे ये जुड़ गया. भगत सिंह, शिवराम राजगुरु व सुखदेव पर मुकदमा चला, जिसके बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, कोर्ट में भी तीनों इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते रहे. भगत सिंह ने जेल में रहकर भी बहुत यातनाएं सहन की, उस समय भारतीय कैदियों के साथ अच्छा व्यव्हार नहीं किया जाता था।

उन्हें ना अच्छा खाना मिलता था, ना कपड़े. कैदियों की स्थिति को सुधार के लिए भगत सिंह ने जेल के अंदर भी आन्दोलन शुरू कर दिया, उन्होंने अपनी मांग पूरी करवाने के लिए कई दिनों तक ना पानी पिया, ना अन्न का एक दाना ग्रहण किया. अंग्रेज पुलिस उन्हें बहुत मारा करती थी, तरह तरह की यातनाएं देती थी, जिससे भगत सिंह परेशान होकर हार जाएँ, लेकिन उन्होंने अंत तक हार नहीं मानी थी।

Bhagat Singh Book Name

1930 में Bhagat Singh जी ने Why I Am Atheist नाम की किताब लिखी। जो आज भी यादगार है।

Bhagat Singh adopted revolutionary life (भगत सिंह ने कैसे अपनाया क्रांतिकारी जीवन)

भगत सिंह ने 1921 में जब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन का आह्वान किया तब भगत सिंह ने अपनी पढाई छोड़ आंदोलन में सक्रिय हो गए। वर्ष 1922 में जब महात्मा गांधी ने गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुई हिंसा के बाद असहयोग आंदोलन बंद कर दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए। अहिंसा में उनका विश्वास कमजोर हो गया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र उपयोगी रास्ता है। उन्होंने जुलूसों में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने।

अपनी पढाई जारी रखने के लिए भगत सिंह ने लाहौर में लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय विद्यालय में प्रवेश लिया। यह विधालय क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र था और यहाँ पर वह भगवती चरण वर्मा, सुखदेव और दूसरे क्रांतिकारियों के संपर्क में आये।काकोरी काण्ड में राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ सहित ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पण्डित चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन से जुड गये और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन।

इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था।

Revenge for Lajpat Rai’s death (लाजपत राय की मौत का बदला)

फरवरी 1928 में इंग्लैंड से साइमन कमीशन नामक एक आयोग भारत दौरे पर आया। उसके भारत दौरे का मुख्य उद्देश्य था – भारत के लोगों की स्वयत्तता और राजतंत्र में भागेदारी। पर इस आयोग में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था जिसके कारण साइमन कमीशन के विरोध का फैसला किया। लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ नारेबाजी करते समय लाला लाजपत राय पर क्रूरता पूर्वक लाठी चार्ज किया गया जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए और बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।

Bhagat Singh ने लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी स्कॉट, जो उनकी मौत का जिम्मेदार था, को मारने का संकल्प लिया। उन्होंने गलती से सहायक अधीक्षक सॉन्डर्स को स्कॉट समझकर मार गिराया। मौत की सजा से बचने के लिए भगत सिंह को लाहौर छोड़ना पड़ा।

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Protest against atrocities happening in jail (जेल में हो रहे, अत्याचार का विरोध)

गिरफ्तार होने के बाद, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को जिस जेल में रखा गया। वहां भगत सिंह ने देखा। वहां रखे गए, अंग्रेज और भारतीय कैदियों में बहुत भेदभाव किया जा रहा है। भारतीय कैदियों के लिए, वहां सब कुछ बहुत दुखदाई था। जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई वर्दियां, वर्षों से नहीं बदली गई थी। रसोई  क्षेत्र और भोजन, चूहे और कॉकरोचों से भरा रहता था। पढ़ने-लिखने के लिए कागज पेन व अखबार नहीं दिया जाता था।

जबकि उसी जेल में अंग्रेज कैदियों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थी। यह देख कर भगत सिंह ने कहा। कानून सबके लिए एक है। उन्होंने यह निर्णय ले लिया। जब तक उनके साथ, इंसानों जैसा व्यवहार नहीं किया जाता। खाने लायक भोजन, साफ-सुथरे कपड़े, पढ़ने के लिए किताबें और अखबार, लिखने के लिए कागज और पेन नहीं दिया जाता। वह खाना नहीं खाएंगे।

23 March 1931 (23 मार्च 1931 के दिन)

23 मार्च 1931 यह फांसी का दिन था। फांसी देने का दिन 24 मार्च 1931 सुबह का रखा गया था। लेकिन भारतीय जनता में, भगत सिंह की फांसी को लेकर काफी आक्रोश भरा हुआ था। इसीलिए अंग्रेजों ने उनको 1 दिन पहले ही 23 मार्च 1931 को  फांसी देने का फैसला किया। जेल के अधिकारियों ने जब भगत सिंह को, यह सूचना दी। उनकी फांसी का वक्त आ गया है। तब वह एक किताब पढ़ रहे थे। तभी उन्होंने कहा था-

ठहरिए, पहले एक क्रांतिकारी को दूसरे क्रांतिकारी से मिल तो लेने दे। फिर 1 मिनट बाद, किताब छत पर उछालकर बोले। ठीक है, अब चलो। फांसी पर जाते समय भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु तीनों मस्ती से गाना गा रहे थे। Bhagat Singh जी ने यह गाना गाया था।

मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे बसंती चोला।

मेरा रंग दे बसंती चोला, माए रंग दे बसंती चोला।।

फांसी के तख्तों पर खड़े होकर। जोरदार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे। वह लोग बहुत खुश थे। क्योंकि वह देश के लिए, अपनी कुर्बानी देने जा रहे थे। फिर 23 मार्च 1931 की शाम करीब 7 बजकर 33 मिनट पर, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई। आप में से ज्यादातर लोगों को, भगत सिंह के बारे में यही तक पता होगा। क्यों उनको फांसी दे दी गई थी। लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती।

Bhagat Singh Kavita Or Poem (भगत सिंह कविता)

“इतिहास में गूँजता एक नाम हैं भगत सिंह
शेर की दहाड़ सा जोश था जिसमे वे थे भगत सिंह  
छोटी सी उम्र में देश के लिए शहीद हुए जवान थे भगत सिंह
आज भी जो रोंगटे खड़े करदे ऐसे विचारो के धनि थे भगत सिंह ..”

Bhagat Singh Quote (भगत सिंह अनमोल वचन)

क्रांति मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार हैं साथ ही आजादी भी जन्म सिद्ध अधिकार हैं और परिश्रम समाज का वास्तव में वहन करता हैं .

आर्टिकल पढ़ने में अच्छा लगा तो आगे पढ़ें?

भगत सिंह जैसी महान हस्ती के बलिदान के लिए पूरा भारत देश उनका ऋणी है, आज के सभी नौजवान उन्हें अपनी प्रेरणा मानते है. उनके बलिदान की कहानी देश विदेश में चर्चित है. इनके जीवन पर कई फ़िल्में भी बन चुकी जिन्हें देख देशभक्ति की ललक सभी के अंदर जागृत हो जाती है।

जीवन अपने दम पर चलता हैं दूसरों का कन्धा अंतिम यात्रा में ही साथ देता हैं।

मैं एक इंसान हूँ और जो भी चीज़े इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं मुझे उनसे फर्क पड़ता हैं।

प्रेमी, पागल एवम कवि एक ही थाली के चट्टे बट्टे होते हैं अर्थात सामान होते हैं।

मेरी गर्मी के कारण राख का एक-एक कण चलायमान हैं मैं ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी स्वतंत्र हैं।

About Bhagat Singh few lines

मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है। ‘ ‘मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।’ ‘ मेरे सीने पर जो जख्म हैं, वो सब फूलों के गुच्छे हैं, हमको पागल रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।

मैं एक इन्सान हूँ और जो भी चीजे इंसानियत पर प्रभाव डालती है मुझे उनसे फर्क पड़ता है।

“मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्वकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ और वही सच्चा बलिदान है।”

“मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्वकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ पर ज़रूरत पड़ने पर मैं ये सब त्याग सकता हूँ और वही सच्चा बलिदान हैहै

लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा… मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।

सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।

Bhagat Singh के अनमोल वचन यह है।

Q: भगत सिंह के पिता का नाम?

Ans : भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह सिन्धु था जोकि एक सिंधु परिवार से आते हैं।

Q: भगत सिंह के कितने भाई बहन थे?

Ans : भगत सिंह के चार भाई और तीन बहन थे।

Q: भगत सिंह को फासी देने वाले जज का नाम?

Ans : भगत सिंह को फांसी देने वाले जज का नाम जी. सी. हिल्टन था।

Q: भगत सिंह का नारा क्या था?

Ans : भगत सिंह का नारा मेरे खून का एक-एक कतरा कभी तो इंकलाव लाएगा।

Q: सिंह ने जेल में कोन सी पुस्तक लिखी थी?

Ans : भगत सिंह ने जेल के दौरान एक डायरी लिखी थी।

Q: भगत सिंह को फंसी किसकी गवाही से हुई थी?

Ans : भगत सिंह को फांसी शादी लाल और दूसरा था शोभा सिंह की दवाई से फांसी हुई थी।

Q: भगत सिंह के बचपन का क्या नाम था?

Ans : भगत सिंह के बचपन का नाम भागां वाला (भाग्य वाला) था।

Q: भगत की शादी कब हुई थी?

Ans : भगत सिंह की शादी की बात की जाए तो भगत सिंह की शादी नही हुई थी।

Q: सिंह की पत्नी का क्या नाम था?

Ans : भगत सिंह की पत्नी का नाम कुछ नहीं है क्योंकि भगत सिंह की शादी नही हुई थी।

Q: भगत सिंह का जन्म कब हुआ?

Ans : भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 हुआ था।

Q: सिंह कोन सी बिरादरी के थे?

Ans : भगत सिंह सिख परिवार से थे।

Q: सिंह के बेटे का नाम क्या है?

Ans : Bhagat Singh Unmarried

Q: भगत सिंह के कितने बच्चें थे?

Ans : भगत सिंह की शादी नही हुई थी तो भगत सिंह के बच्चे नहीं है।

Q: भगत सिंह की म्रत्यु कब हुई थी?

Ans : भगत सिंह की मृत्यु 23 मार्च 1931 के वो दिन आज भी यादगार है।

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