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मेरा नाम Rinku Rathor हैं। मैं पिछले 1 साल से ब्लॉगिंग कर रहा हूं। मैं इस ब्लॉग पर रोजाना आपके लिए Education, Earn Money Online रिलेटेड जानकारी देता रहता हूं। आज हम आपको इस पोस्ट में Prajanan Kya hai, Prajanan Kise Kahate Hain से जुड़ी जानकारी इस पोस्ट में बताई गई है।
Prajanan Kise Kahate Hain
सभी जीवो में अपने समान संतान उत्पन्न करने की क्षमता पाई जाती है जिसे प्रजनन कहते हैं। प्रजनन के द्वारा ही जीव अपनी संख्या में वृद्धि करता है।
प्रजनन किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?
सभी जीवो में अपने समान संतान उत्पन्न करने की क्षमता पाई जाती है जिसे प्रजनन कहते हैं।
प्रजनन दो प्रकार के होते हैं।
- लैंगिक प्रजनन
- अलैंगिक प्रजनन
- कायिक / वर्धी प्रजनन
1.लैंगिक प्रजनन किसे कहते हैं?
ऐसा प्रजनन जिसके लिए लैंगिक अंगों की आवश्यकता होती है और जायगोट का निर्माण होता है। अर्थात निषेचन होता है। लैंगिक प्रजनन कहलाता है। यह क्रिया उच्च श्रेणी के जंतुओं में पाई जाती हैं। और यह क्रिया द्वजनकीय होती है।
2. अलैंगिक प्रजनन किसे कहते हैं?
ऐसा प्रजनन जिसके लिए लैंगिक अंगों की आवश्यकता नहीं होती है। और जायगोट का निर्माण नहीं होता है अलैंगिक प्रजनन कहलाता है। यह क्रिया निम्न श्रेणी के जंतुओं में पाई जाती हैं और यह क्रिया एकजनकीय होती है।
3.कायिक / वर्धी प्रजनन किसे कहते हैं?
ऐसा प्रजनन जिसमें हम मुख्य पौधे से कोई भाग अलग कर लेते हैं। और उस भाव से हमें नया पौधा प्राप्त हो जाता है। कायिक प्रजनन कहलाता है।
जैसे – कलम लगाना, पैबंध बांधना आदि।
कायिक प्रजनन किसे कहते हैं कायिक प्रजनन की प्रमुख विधियों का वर्णन करो?
वर्धी प्रजनन – ऐसा प्रजनन जिसमें हम मुख्य पौधे से कोई भाग अलग कर लेते हैं और उस भाग से हमें एक नया पौधा प्राप्त हो जाता है वर्धी प्रजनन कहलाता है।
1.वर्धी प्रजनन की विधियां – इसकी मुख्य विधियां निम्नलिखित हैं।
० जड़ों के द्वारा – कुछ पौधों की जड़ों से आपस्थानिक कालिकाएं निकलती हैं जो विकसित होकर नए पौधे को जन्म देती हैं।
जैसे – शकरकंद, श्तावर, डहेलिया, शीशम, अमरूद आदि।
० तनो द्वारा – कुछ पौधो के तनों से अपस्थानिक कालिकाएं निकलती है जो विकसित होकर नये पौधे को जन्म देती है।
उदा. आलू, अदरक, हल्दी, पुदीना, अरवी आदि।
० पतियों द्वारा – कुछ पौधों की पत्तियों से अपस्थानिक कलिकाऐ निकलती है जो विकसित होकर नये पौधे को जन्म देती हैं।
उदा . ब्रायोफिलम, बिगनोनिया आदि।
2. कृत्रिम वर्धी प्रजनन – इसकी प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं।
० कलम लगाना – इस विधि में हम मुख्य पौधे से उसकी कलम को अलग कर लेते हैं फिर हम उसे दूसरे स्थान पर मिट्टी में दबा देते हैं और कुछ दिनों बाद हमें उससे एक नया पौधा प्राप्त हो जाता है।
उदा . गुलाब
० ग्राफिटिंग द्वारा – इस विधि में किसी पौधे के तने को काट दिया जाता है। और उस स्थान पर दूसरे पौधे के तने को लगा दिया जाता है। और उस स्थान पर गोबर लगाकर कपड़े से अच्छी तरह बांध दिया जाता है।
उदा. सेव, आम, नींबू आदि।
० लेयरिंग (दाव डालना या दाब लगाना) – इस विधि में शाखा को झुकाकर मिट्टी में दबा दिया जाता है। और कुछ दिनों बाद उस शाखा से अपस्थानिक कालिकाऐ निकलने लगती हैं। फिर उस शाखा को वहां से काटकर दूसरे स्थान पर लगा दिया जाता है। जिसके फलस्वरुप हमें एक नया पौधा प्राप्त हो जाता है।
उदा . सेव, नींबू, जेसिमिन, चेरी आदि।
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FAQ Quastions?
प्रजनन कितने होते हैं?
प्रजनन दो प्रकार के होते हैं। एक तो लैंगिक प्रजनन और दूसरा अलैंगिक प्रजनन।
प्रजनन कितने प्रकार के होते हैं?
प्रजनन दो प्रकार के होते हैं। एक तो लैंगिक प्रजनन और दूसरा अलैंगिक प्रजन।