डीएनए और आरएनए में क्या अंतर हैं, डीएनए का फुल फॉर्म, आरएनए का फुल फॉर्म, रासायनिक संगठन, कार्य एवं महत्त्व (Difference Between DNA And RNA,Full Form Of DNA,Full Form Of RNA, Chemical Organization,Function And Importance)
DNA को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार
- DNA पूरा नाम
- रासायनिक संगठन
- कार्य एवं महत्त्व
(1) DNA का पूरा नाम – डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल।
(2) रासायनिक संगठन – DNA का रासायनिक संगठन निम्न प्रकार होता है।
- पेण्टोज शुगर – यह डी ऑक्सी राइबोज़ शुगर होतीं हैं।
- फॉस्फोरिक अम्ल – यह अकार्बनिक अम्ल होता है।
- नाइट्रोजनी क्षारक – यह दो प्रकार का होता है।
- प्यूरीन
- पिरिमिडीन
- प्यूरीन – यह दो रिंग वाला नाइट्रोजनी कार्बनिक क्षारक होता है । जो एडीनिन एवं ग्वानीन होते हैं । जिन्हें क्रमशः ‘A’ और ‘G’ से प्रदर्शित किया जाता है ।
- पिरिमिडीन – यह एक रिंग वाला नाइट्रोजनी कार्बनिक क्षारक होता है । सायटोसीन एवं थायमीन होते हैं । जिन्हें क्रमशः ‘C’ और ‘T’ के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।
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(3) कार्य एवं महत्त्व –
- यह आनुवंशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लें जाने का कार्य करता है।
- यह अनेक प्रकार के राइबो न्यूक्लिक अम्लों का निर्माण करते हैं ।
- यह प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कोशिका की सभी जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं ।
DNA और RNA में अंतर (Difference Between DNA And RNA)
DNA और RNA में अंतर –
DNA | RNA |
इसका पूरा नाम डी-ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल होता है। | इसका पूरा नाम राइबो न्यूक्लिक अम्ल होता है। |
इसमें डी-ऑक्सी राइबोज़ शुगर पाई जाती हैं। | इसमें राइबोज़ शुगर पाई जाती हैं। |
इसमें नाइट्रोजनी क्षारक एडीनीन ग्वानीन, सायटोसीन एवं थायमिन होती हैं। | इसमें नाइट्रोजनी क्षारक एडीनीन ग्वानीन सायटोसीन, यूरेसिल होती हैं। |
यह केवल केन्द्रक में पाया जाता हैं। | यह केन्द्रक एवं कोशिका द्रव्य दोनों में पाया जाता हैं। |
यह द्विकुण्डिलित संरचना होती हैं। | यह एकल स्टैण्ड वाली संरचना होती हैं। |
यह आनुवंशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लें जाने का कार्य करता है। | यह सूचना वाहक होता है। |
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RNA कितने प्रकार के होते हैं (How Many Types Of RNA Are There)
RNA तीन प्रकार के होते हैं –
- mRNA
- rRNA
- tRNA
- mRNA – यह RNA का कुल तीन से पांच प्रतिशत भाग होता है इसका निर्माण अनुलेखन में होता है। यह संदेश वाहक का कार्य करता है।
- rRNA – यह RNA का कुल 80% भाग होता है। यह राइबोसोम में पाया जाता है। इसलिए इसे राइबोसोमल RNA कहते हैं।
- tRNA – यह RNA का कुल 10% भाग होता है यह प्रोटीन निर्माण के समय अमीनो अम्लों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करता है।
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DNA के द्विकुण्डिलित माँडल (Double Helix Model Of DNA)
DNA के द्विकुण्डिलित माँडल – DNA का द्विकुण्डिलित माँडल वटसन एवं क्रिक ने दिया/ इस माँडल के अनुसार –
- DNA दो समान्तर पोलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं का बना होता है।
- प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में क्षार, शुगर, फास्फेट के अणु पाये जाते हैं।
- दोनों श्रृंखलाओं के क्षारक एक दूसरे के पूरक होते हैं।
- ये पूरक क्षारक एक दूसरे से हाइड्रोजन बंधों के द्वारा जुड़ें रहते हैं।
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- DNA के एक कुण्डल की लंबाई 34A° होतीं हैं। तथा दो न्यूक्लियोटाइडों के बीच की दूरी 3•4A° होतीं हैं।
- DNA अणु का व्यास 20A° होता है।
- DNA की दोनों श्रृंखलाओं में प्यूरिन तथा पिरिमिडीन क्षारकों की मात्रा समान होतीं हैं। क्योंकि एक श्रृंखला के प्यूरिन दूसरी श्रृंखला के पिरिमिडीन से जुड़ें होते हैं।
- एडीनीन थायमीन से डबल हाइड्रोजन बंध के द्वारा जुड़ा होता है। तथा सायटोसिन ग्वानीन से ट्रिपल हाइड्रोजन बंध के द्वारा जुड़ा होता है।
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DNA फिंगर प्रिटिंग क्या है? इसकी कार्य विधि (What is DNA Finger Printing? its method)
DNA फिंगर प्रिटिंग – DNA नमूनों का विश्लेषण करन DNA फिंगर प्रिटिंग कहलाता है। DNA फिंगर प्रिटिंग को सबसे पहले एलेक जेफ्री ने समझाया था।
महत्व –
- इसका उपयोग अपराधियों की पहचान करने में किया जाता है।
- इसका उपयोग खोयें हुए बच्चों को पहचानने में किया जाता है।
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DNA फिंगर प्रिटिंग की क्रिया विधि – DNA फिंगर प्रिटिंग के लिए हम सबसे पहले कोशिका को EDTA से treat कराते हैं। जिससे कोशिका झिल्ली फट जाती हैं। और कोशिकांग बाहर आ जाते हैं।
अब हम इन कोशिकांगो का (centri fugation) सेंट्री फ्यूगेशन करते हैं। जिससे DNA हल्का होने के कारण ऊपर आ जाता है। अब हम प्राप्त DNA का PCR कराते हैं। जिससे हमें DNA की अनेक कॉपीज प्राप्त हो जाती हैं। अब हम DNA को रिस्ट्रक्टेड एण्डोन्यूक्यि एंजाइम की सहायता से काटते हैं।
जिससे हमें DNA के अनेक खण्ड प्राप्त हो जाते हैं इन खण्डों को VNTR कहते हैं। इसके बाद हम सदर्न ब्लोटिंग के द्वारा DNA का प्रिंट प्राप्त कर लेते हैं। इस क्रिया को इलैक्टौफोरेसिस कहते है। इस क्रिया में नायलोन झिल्ली के ऊपर एरोगैस का जैल लगाया जाता है। जिसके ऊपर DNA खण्डों को छोङ दिया जाता हैं। इसमें विधुत धारा प्रवाहित करते हैं। जिससे DNA ऋणावेशित होने के करण धन ध्रुव की ओर गति करने लगता हैं। इस प्रकार हमें DNA की प्रिंट प्राप्त हो जाती हैं। जिससे देखकर अपराधी की पहचान कर ली जाती हैं।
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FAQ Question?
डीएनए की खोज किसने की थी?
डीएनए की खोज सर्वप्रथम फिद्रीक मीश्चर ने की थी। इसकी संरचना डबल हेलिक्स होती है। जिसकी खोज वाटसन और क्रीक ने की थी।