बीज अंकुरण (Seed Germination) – जब बीज सुसुप्तवस्था को छोड़कर एक शिशु पौधे को जन्म देता है। तब इसे बीज अंकुरण कहते हैं।
बीज अंकुरण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार का होता है?
बीज अंकुरण के प्रकार – बीज अंकुरण दो प्रकार का होता है।
१. आधोभूमिक बीज अंकुरण –
२. उपरिभूमिक बीज अंकुरण –
1.आधोभूमिक बीज अंकुरण – ऐसा बीज अंकुरण जिसमें बीजपत्र भूमि के अंदर रह जाता है। आधोभूमिक बीज अंकुरण कहलाता है। अर्थात इसका बीज पत्र प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भाग नहीं लेता है।
जैसे – चना, मटर, गेहूं आदि।
2. उपरिभूमिक बीज अंकुरण – ऐसा बीज अंकुरण जिसमें बीजपत्र भूमि के ऊपर आ जाता है। उपरिभूमिक बीज अंकुरण कहलाता हैं। अर्थात इसका बीजपत्र प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भाग लेता है।
जैसे – आम, इमली, आदि।
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आधोभूमिक और उपरिभूमिक बीज अंकुरण में क्या अंतर है?
आधोभूमिक व उपरिभूमिक बीज अंकुरण में अंतर –
S.N | आधोभूमिक बीज अंकुरण | उपरिभूमिक बीज अंकुरण |
1. | इसका बीजपत्र भूमि के अंदर रह जाता है। | इसका बीजपत्र भूमि के ऊपर आ जाता है। |
2. | इसका बीजपत्र प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भाग नहीं लेता है। | इसका बीजपत्र प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भाग लेता है। |
3. | जैसे – चना, गेहूं, मटर आदि। | जैसे – आम, इमली, आदि। |