अनिषेकफलन (Parthenocarpy) – सामान्यत: पुष्पीय पौधों में परागण एवं निषेचन की क्रिया के बाद बीजांड से बीज का तथा अंडाशय से फल का निर्माण होता है लेकिन कुछ पौधों में बिना परागण एवं निषेचन के ही फल का निर्माण हो जाता है इस क्रिया को अनिषेक फलन कहते हैं ऐसे फल प्राय: बीजरहित होते हैं।
जैसे – अंगूर, केला, अनन्नास आदि।
अनिषेक फलन किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
अनिषेक फलन के प्रकार – अनिषेक फलन दो प्रकार का होता है।
1. प्राकृतिक अनिषेक फलन (Natural Parthenocarpy) – प्राकृतिक रूप से बीज रहित फल बनने की क्रिया को प्राकृतिक अनिषेक पालन कहलाती है।
जैसे – अंगूर, केला, अनन्नास आदि।
2. कृतिम अनिषेक फलन (Artificial Parthenocarpy) – पुष्पों पर वृद्धि हार्मोन के छिड़काव से बीजरहित फल बनने की क्रिया कृतिम अनिषेक फलन कहलाती है ।
जैसे – टमाटर, अमरूद, पपीता आदि।
अनिषेक जनन किसे कहते हैं?
अनिषेक जनन (Parthenogenesis) – सामान्यत: भ्रूण का विकास निषेचन के बाद अण्ड कोशिका से होते हैं। लेकिन कभी-कभी निषेचन के बिना ही भ्रूण का विकास हो जाता हैं।इस क्रिया को अनिषेक जनन कहते हैं।
अनिषेक जनन किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
अनिषेक जनन (Parthenogenesis) – सामान्यत: भ्रूण का विकास निषेचन के बाद अण्ड कोशिका से होते हैं। लेकिन कभी-कभी निषेचन असफल हो जाता है। तब अनिषेचित अण्ड से ही भ्रूण का निर्माण हो जाता है। इस क्रिया को अनिषेक जनन कहते हैं।
अनिषेक जनन के प्रकार – अनिषेक जनन दो प्रकार के होते हैं।
१.अगुणित अनिषेक जनन –
२. द्विगुणित अनिषेक जनन –
1.अगुणित अनिषेक जनन – अगुणित अनिषेचित अण्ड कोशिका से भ्रूण बनने की क्रिया अगुणित अनिषेक जनन कहलाती है।
2. द्विगुणित अनिषेक जनन – द्विगुणित अनिषेचित अण्ड कोशिका से भ्रूण बनने की क्रिया द्विगुणित अनिषेक जनन कहलाती है।
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